Nafas ki gazlen

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Friday, March 31, 2023

                         ग़ज़ल 

हज़ार  जुल्म सहे और  मलाल भी न करे
ये हुक्म  है  कि  रिआया  सवाल  भी करे

अमीरे शहर का फ़रमान है कि ज़ब्त करो
वो  घर  जला  दे  कोई  वबाल भी  न  करे

जहां कहीं भी जलीं  मशअलें बुझा दी गईं
हवा  वही तो  चरागों  का  हाल भी न करे

ख़ुदा  से  ऐसी  मसाफ़त  न मांग ऐ नादां
कि जो थकन भी न दे और निढाल भी न करे

उसे  मैं  दोस्त नहीं दुश्मनों  में  गिनता हूं
जो तर्क करके तअल्लुक बहाल भी न करे 

                                  नफ़स अम्बालवी 

मलाल - दुःख, रिआया - जनता , अमीरे शहर - नगराधीश 
मशअलें - मशालें, मसाफ़त - यात्रा, तर्क - तोड़ना 

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